आप इस पैग़ाम में बहुत ही ज़रूरी बात जानेंगे कि आख़िर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है हम सभी को हमेशा अपने बदन को पाक ही रखना चाहिए क्योंकि पाकीज़गी भी हम लोगों के लिए आधा ईमान होती है तो ऐसे में हमें यह भी जानना चाहिए की आख़िर हम नापाक कब होते हैं।
हमलोग को यह ज़रूर मालूम होना चाहिए कि आख़िरकार हम पर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है आप इसका जवाब इस छोटे से इल्म भरे पैग़ाम में जान जाएंगे बस इस पैग़ाम को ध्यान से आख़िर तक पढ़ें इसमें हमने ग़ुस्ल का फर्ज होने का पूरा कारण को एक एक करके आसान लफ्ज़ों में बताया है।
Ghusal Kab Farz Hota Hai
ग़ुस्ल फर्ज होने के ख़ास पांच वजह है:
- मनी का अपनी जगह से निकलने पर
- सो कर उठने के बाद कतरे पाए जाने पर
- मर्द औरत का इंटरकोर्स हो जाने पर
- हैज से फारिग हो जाने पर
- निफास से फारिग होने पर
अब हर एक वजह को अच्छे से समझे ताकि किसी भी तरह का कोई कन्फ्यूजन ना हो क्योंकि हर एक वजह के पीछे कई तरह के मसले हैं।
ग़ुस्ल फर्ज होने का पहला वजह
आप ने उपर में जाना कि मनी का अपनी जगह से निकलने पर ग़ुस्ल करना ज़रूरी होता है लेकीन इसमें भी यह जान लें कि कभी कभी मनी ऐसे भी निकल जाता है।
ऐसे में ग़ुस्ल वाजिब नहीं लेकीन वजू जाता रहेगा लेकीन कभी शहवत के बाद न निकली या आपने निकलने से दबा ली फिर वो बाद में निकली तो ग़ुस्ल वाजिब है।
अगर मनी पतली पड़ गई कि पेशाब के वक्त या वैसे ही कुछ कतरे बिना शहवत के निकल आए तो ग़ुस्ल वाजिब नहीं लेकीन यहां भी वजू जाता रहेगा।
ग़ुस्ल फर्ज होने का दुसरा वजह
एहतिमाल नाइटफॉल यानी की सो कर उठने के बाद बदन या कपड़े पर तरी पाई चाहे वह किसी भी प्रकार के क्यूं ना हो तो ऐसे में आप का ग़ुस्ल वाजिब है।
किसी ख्वाब की वजह से मनी निकल रही थी लेकीन आपने इसे दबा लिया फिर बाद में आ गई तो ऐसे में भी ग़ुस्ल करना ज़रूरी हो जाता है।
कभी कभी ऐसा भी होता है की एहतिलाम तो याद है लेकीन जब देखा तो कपड़े वगैरा पर कोई असर नहीं तो इस हालत में ग़ुस्ल वाजिब नहीं होगा।
मर्द व औरत एक ही चारपाई पे सोये और उठने के बाद बिस्तर पर मनी पाई ऐसे में दोनों के लिए ग़ुस्ल ज़रूरी है किसी एक पर पाया तो उसके लिए फर्ज है।
औरत को ख्वाब हुआ लेकीन औरत की पेशाब की जगह से नहीं निकली तो फर्ज नहीं अगर तरी बदन या कपड़ा पे पाई जाती है तो ग़ुस्ल ज़रूरी है।
ग़ुस्ल फर्ज होने का तीसरा वजह
आपने छोटे से लाइन में उपर में ही पढ़ा की इंटरकोर्स हो जाने पर ऐसे हालत में अगर मनी ना भी निकले तो भी दोनों को ग़ुस्ल करना ज़रूरी है।
अगर इंजाल आकिल बालिग हो यानी इंटरकोर्स आकिल बालिग के बीच हो तो सिर्फ बालिग पर ग़ुस्ल फर्ज है और नाबालिग पर फर्ज नहीं फिर भी ग़ुस्ल की हुक्म है।
औरत ने अपने फर्ज में यानी शोहबत की जगहों पर उंगली या जानवर या मुर्दे की जकर या फिर रबड़ का जकर बना कर अपने अन्दर डाली और मनी निकल आई तो ग़ुस्ल फर्ज है।
ग़ुस्ल फर्ज होने की चौथी वजह
यह बहुत ही आम मसला है आज कल हमारी इस्लामी मां बहनों के लिए हैज़ अय्याम यानी माहवारी से फारिग होना जब भी हैज़ आना बंद हो जाए तो ग़ुस्ल ज़रूरी है।
ग़ुस्ल फर्ज होने की पांचवी वजह
आपने उपर में ही जाना की निफ़ास से फारिग होने के बाद यानी जब भी आगे के मकाम से खून का आना बंद हो जाए तो ऐसे में ग़ुस्ल फर्ज है।
निफास का ज्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 दिन है अगर 40 दिन के बाद भी बन्द न हो तो वह मर्ज है जैसे ही पूरे 40 दिन हो जाए तो ग़ुस्ल कर लेना चाहिए।
FAQ
औरत नापाक कब होती है?
हैज और निफास साथ ही शोहबत करने पर औरत नापाक होती है।
औरत पर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है?
औरत यानी हमारी मां बहनों पर मनी निकलने पर और हैज व निफास से फारिग होने पर ग़ुस्ल फर्ज होता है।
मर्द नापाक कब होता है?
जब उसका मनी ख़्वाब इरादा या शोहबत करने से डिस्चार्ज हो जाता है तो मर्द नापाक हो जाता है।
मर्द पर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है?
जब मर्द इरादा और शोहबत करे और मनी निकल जाए तो उस पर ग़ुस्ल फर्ज होता है।
आख़िरी बात
आपने इस छोटे से पैग़ाम के ज़रिए बहुत ही आवश्यक जानकरी हासिल की, कि ग़ुस्ल कब फर्ज होता है आप अभी तक इसका जवाब से रूबरू हो गए होंगे अगर अभी भी आपके जहन में कोई सवाल या कन्फ्यूजन हो तो बेझिझक आप हमसे कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं।
हम आपके सवालात का जल्द से जल्द जवाब देने की कोशिश करेंगे हमे यह जानकर खुशी हुई कि हमारे मज़हब ए इस्लाम में अभी भी छोटे से छोटे बात जानने की जिज्ञासा रखते हैं, जो कि बहुत ही ज़रूरी है यकीनन आप इस पैग़ाम को पढ़ कर अपना इच्छा पूरा कर लिए होंगे।
अगर यह पैगाम आपको अच्छा लगा हो तो इस पैग़ाम से सीखी बात और जानकारी को औरों को भी बताएं इस पैग़ाम को उन तक शेयर करें जिससे वो भी छोटी से छोटी बातों का ख्याल रख सकें और हमलोग का सवाब में इज़ाफा भी हो साथ ही अपने नेक दुआओं में हमें भी याद रखें। शुक्रिया!